बाबा तेरी लाडली,फिर से हुई शिकार
बाबा तेरी लाडली,फिर से हुई शिकार
आये माधव भी नहीं, सुनकर वही पुकार
माँ करती थी रात दिन, मेरा बड़ा दुलार
बाबा तूने भी दिया , मुझे असीमित प्यार
अब समझी हूँ तात मैं, तेरे दिल की बात
क्यों बाहर के नाम पर, तुम करते इनकार
बाबा तेरी लाडली,फिर से हुई शिकार
दिखने में वो जानवर, इतने थे खूंखार
चीखी भी मैं जोर से, लेकिन सब बेकार
बाबुल तू भी था नहीं, उस दिन मेरे पास
लड़ते लड़ते मैं गई, अपना जीवन हार
बाबा तेरी लाडली,फिर से हुई शिकार
अंधा क्यों कानून ये , चुप भी क्यों सरकार
सड़कों पर अब लग रहा, गुंडों का दरबार
इसीलिये तो नारियाँ , डर से हैं भयभीत
सरे आम ही हो रहा, है अस्मत पर वार
बाबा तेरी लाडली,फिर से हुई शिकार
01-12-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद