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8 May 2022 · 1 min read

बाबा की धूल

प्रभु मुझे नव जन्म में करना,
बाबा की बगिया का फूल।
और नहीं तो मुझको करना,
बगिया की मिट्टी की धूल।

क्यारी में पानी देते बाबा,
स्नेह में भीगी उनके साथ।
अगर मैं इधर-उधर उड़ी तो,
थामेंगे रख सिर पर हाथ।

पीड़ा सारी मैं हर लूँगी,
चुभ जाए जो कोई शूल।
बाबा के मन की बगिया में,
उगने न दूँगी कोई बबूल।

नित बाबा के चरण गहूँगी,
कदम तले की धरा बनूँगी।
जहाँ-जहाँ बाबा जाएँगे,
पकड़ के दामन संग चलूँगी।

होऊँ अलग न कभी बाबा से,
न आए विदा का कोई विचार।
बाबा के आँगन सदा बिखेरूँ,
देखभाल और प्यार अपार।

-डॉ. आरती ‘लोकेश’
-दुबई, यू.ए.ई.

7 Likes · 2 Comments · 680 Views
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