बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी की १३० वी जयंती
धन्य हुई ये धरा महू की, धन्य ये मध्य प्रदेश हुआ
धन्य सारा विश्व हुआ जब, अम्बेडकर का उदय हुआ
सन् १८९१ में, जन्मा भारत का एक सितारा था
डॉ भीमराव आंबेडकर, दुनिया की आंख का तारा था
माता भीमाबाई पिता रामजी सेना में सूबेदार थै,
डा. भीमराव अंबेडकर, उनकी चौदहवीं संतान थे
तीक्ष्ण बुद्धि प्रतिभा का धनी बालक,
भीमराव रामजी सकपाल कहाया
प्रारंभिक शिक्षा को उनको सतारा में भर्ती कराया
एक देशस्थ ब्राह्मण शिक्षक ने,
अपना सरनेम अंबेडकर दे,
भीमराव अंबेडकर नाम धराया
माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा मुंबई में पाई
उच्च शिक्षा के लिए, फिंस्टन कालेज मुंबई में दाखिला पाया
एक शिक्षक श्री कृष्णा केलुस्कर के सहयोग से
बड़ौदा महाराज सयाजीराव गायकवाड़ से बजीफा पाया
सन् १९१२ में ग़ेजुएशन कराया
प्रतिभा देख अम्बेडकर जी की महाराजा ने लंदन भिजवाया
स्कूल आफ ईकोनामिक्स लंदन में दाखिल कराया
सन् १९१५ में एम ए अर्थ शास्त्र में पाया
बड़ौदा स्टेट में उनको सैन्य सचिव बनाया
लेकिन जातिगत भेद भाव से, उनको पद न भाया मुंबई बापिस आए अंबेडकर, सीडेनहम कालेज मुंबई में प्राध्यापक बने
सन् १९२० पीएचडी करने फिर विदेश गए
छत्रपति साहूजी महाराज कोल्हापुर मित्र नबल भटेना उनके सहयोगी बने
सन १९२४ में पीएचडी कर वापिस आए
रास न आई उन्हें नौकरी, समाज सेवा में आए
देश विदेश में शिक्षा से उनने, अपना नाम कमाया
विधि राजनीति अर्थशास्त्र का
उनने प्रकाश फैलाया
शोषित दलित और पीड़ित की एक मुखर आवाज बने समता लाने को समाज में, संघर्ष के वे पर्याय बने सामाजिकन्याय समानता और स्वतंत्रता, के वे प्रबल पक्षधर थे
इसको पाने समाज में, दिन रात एक करते थे आजादी के बाद संविधान सभा के अध्यक्ष बने
देश के प्रथम कानून मंत्री बने
भारत का संविधान बनाया न्याय और समानता के प्रतीक बने
प्रकाश पुंज बन गए बाबा
जन-जन को एक पथ दिखलाया, उनने अपनी प्रतिभा के दम पर दुनिया को लोहा मनवाया
कोटि-कोटि नमन चरणों में,
तुमने भारत मां का मान बढ़ाया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी