बापू के संजय
स्वतंत्रता के 75वे वर्ष में पूरे भारतवर्ष में
गांधी जयंती धूमधाम से मनाई
सरकारी भोंपू ने प्रमुख खबर बनाई
सुबह जब अखबार उठाया
तो नेताजी को माला अर्पण करते पाया
मैं भी बापू की याद करते करते सो गया
सुंदर सपनों में खो गया
बापू मेरे सपने में आ गए हम उन्हें देख घबरा गए
बापू वोले क्यों 75 सालों से सो रहे हो ?
क्यों सुंदर पल खो रहे हो ?
हमने कहा स्वार्थ अंधता बड़ी
देश की किसको पड़ी
बापू बोले उठो तुम मेरे संजय बन जाओ
मैं जो पूछूं सच-सच बताओ
ये सफेद चमचमाती कारों का काफिला
ये कौन है जनता क्यों मोंन है ?
हमने कहा बापू ये तो नेता है सब कुछ ले लेता है
आप बुनकर पहनते थे ये विदेश से बुलाता है
जनता नहीं समझ पाती ये कौन है इसलिए मोंन है
ये सूट बूट पहने ये पश्चिमी मिजाज यह कौन है ?
ये क्यों मौन है ?
हमने कहा बापू यह आपके जमाने में आई सी एस
अब आईएएस कहलाते हैं ये जनता को हड़काते हैं
नेताओं के पांव सहलाते हैं मनचाही पोस्टिंग करवाते हैं
इसलिए मोंन हैं
यह डंडे वाला कौन है तुम चुप क्यों हो गए ?
हमने कहा बापू देश भक्ति जनसेवा इनका नारा है
व्यवहार न्यारा है सारी जनता इनसे डरती है
नेता और दबंगों की इनसे बहुत पटती है
ये क्या हंगामा है नाटक या ड्रामा है ?
ये निहत्थों को क्यों भून रहा है ?
इसमें क्या ढूंढ रहा है ?
हमने कहा बापू यह आतंकवादी कहलाता है
चाहे जिसे उड़ाता है
स्त्री बूढ़े बच्चे और निर्दोषों को मार जाता है
दुनिया में कहीं भी बम फेंक जाता है
अच्छा यह बताओ यह धंसी धंसी आंखें निरा हड्डियों का ढांचा
ये कौन है ये क्यों मौन है?
हमने कहा बापू ये आम जनता है
अपनी ही संस्कृति भूल गई है स्वार्थों में झूल गई है
ये भूल गई है कि हम कौन हैं इसलिए मौन हैं
गांधीजी हे राम कह मूर्ति बत हो गए
अगली गांधी जयंती तक हम भी सो गए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी