बापू का सत्य के साथ प्रयोग
“बापू तुमने ऐसा क्यों किया ?
जिन्ना नेहरू के चक्कर में ,
पूरे देश को बाट दिया !
यदि अहिंसा परम धर्म है तो ,
क्यों बटवारे में खून बहा ?
स्वर्ग से सुन्दर काश्मीर को ,
क्यों तिल तिल जलने छोड़ दिया ?
वोट मिले पटेल को ज्यादा ,
फिर तुमने नेहरू को क्यों चुना ?
वाह रे बापू तुमने तो सच में ,
सत्य के साथ कितना सुन्दर प्रयोग किया !
रुकवा सकते थे तुम भगत की फांसी ,
पर तुमने ऐसा नहीं किया !
जिस सुभाष ने अंग्रेजों की दी थी नीव हिला ,
उस सपूत को भी तुमने ,छिपकर रहने को मजबूर किया !
वाह रे बापू सच में तुमने ,सत्य के साथ कितना सुन्दर प्रयोग किया !
आज भी इतिहास के पन्नो में ,
बापू हमारे राष्ट्रपिता और चाचा हमारे नेहरू हैं !
विडंबना है अपने देश की भगत आज भी बागी हैं !
सारी रियासतों को मिलाकर पटेल ने भारत को एक किया ,
और काश्मीर नेहरू को देके तुमने सबकुछ ध्वस्त किया !
बटवारे की लकीर जो तुमने तब की खींची थी ,
मांग रही है आज धरती हिसाब जितना वो उस क्षण रोई थी !
लाखों बेघर हो गए और न जाने कितने अपनों से बिछड़ गए ,
सत्तर साल के बाद भी सैनिक वेदी पर चढ़ रहे ,
वाह रे बापू तुमने सत्य के साथ सच में अदभुत प्रयोग किये !”