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22 May 2021 · 1 min read

बादल (गीतिका)

बादल (गीतिका)
~~
नील नभ पर खूब छाए जा रहे बादल।
दृश्य मनभावन बनाए जा रहे बादल।

आ गये हैं ये छमाछम बारिशें लेकर,
हर तरफ सबको भिगाए जा रहे बादल।

सूर्य को ढककर दिखाया धूप की गायब।
रंग अपने सब दिखाए जा रहे बादल।

क्रोध में लगते कभी घन गर्जना करते।
बिजलियां भी हैं गिराए जा रहे बादल।

किन्तु अपने स्नेह से हैं नम धरा करते।
प्यास भी सबकी बुझाए जा रहे बादल।

जोश में झंकृत हुए हैं तन बदन सबके।
गीत ज्यों मल्हार गाए जा रहे बादल।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मण्डी (हिमाचल प्रदेश)

3 Likes · 6 Comments · 360 Views
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