बादल गरजते है
****** बादल गरजते हैं *******
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अंबर में काले बादल गरजते हैं
बूँदों के रूप में खूब बरसते हैं
सागर उफान पर भी शान्त रहता है
चातक बूँद बूँद को तरसते हैं
आशक्त प्यार में दर दर भटकता है
राही राहों पर जैसे भटकते हैं
खिलते फूल बागों में तरह तरह के
भंँवरें सुमन पर आ कर टपकते हैं
दीवानों का हाल दीवाने समझे
दिन जुदाई के मुश्किल से कटते हैं
मनसीरत बयां कैसे करे अरमान
ख्वाबों के कभी पंख नहीं लगते हैं
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)