Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
सिद्धार्थ गोरखपुरी
118 Followers
Follow
Report this post
9 Nov 2024 · 1 min read
बात
मुचलके पर रिहा हुई है बात मेरी
किसी के रूबरू इतनी है औकात मेरी
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
Language:
Hindi
Tag:
शेर
Like
Share
105 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
You may also like these posts
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
AJAY AMITABH SUMAN
*Fruits of Karma*
Poonam Matia
कह मुकरियां
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
इश्क़ हो जाऊं
Shikha Mishra
चाहे कुछ भी हो अंजाम
Abasaheb Sarjerao Mhaske
वक्त की हम पर अगर सीधी नज़र होगी नहीं
Dr Archana Gupta
धवल घन !
Akash Agam
दोहावली...
आर.एस. 'प्रीतम'
चैन भी उनके बिना आता कहाँ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
होलिका दहन
Bodhisatva kastooriya
*लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अग्नि परीक्षा!
Pradeep Shoree
"समाज का भला हो सकता है"
Ajit Kumar "Karn"
दिल्ली की बिल्ली
singh kunwar sarvendra vikram
ग़म ज़दा लोगों से जाके मिलते हैं
अंसार एटवी
3145.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
..
*प्रणय*
*अपना सरगम दे जाना*
Krishna Manshi
खून पसीने में हो कर तर बैठ गया
अरशद रसूल बदायूंनी
एतनो मति बनऽ तूँ भोला
आकाश महेशपुरी
" मुरादें पूरी "
DrLakshman Jha Parimal
चखा कहां कब इश्क़ ने,जाति धर्म का स्वाद
RAMESH SHARMA
गुलजार हो गये
Mamta Rani
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
पूर्वार्थ
जन्मदिन का तोहफा**
Bindesh kumar jha
पलटू चाचा
Aman Kumar Holy
किताब में किसी खुशबू सा मुझे रख लेना
Shweta Soni
चौपाई
Sudhir srivastava
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
Phool gufran
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...