बात मेरा मानो तुम
हम तुम्हारे बाप हैं,
हमसे मुँह मत लड़ा ।।
जितना हम कहते हैं,
पग उतना बढ़ा ।।
बात मेरा मानो तुम,
जो कहता हूँ, उसे करो ।
इस उम्र में अब तो तुम,
थोड़ा सा धीरज रखो ।।
हो रहे हो सयाने तुम,
बढ़ रही है उमर तेरी ।
गलती किसी का हो,
तुम बात मान लो मेरी ।।
समझोगे बात मेरा तो,
ना होगी परेशानी तुम्हें ।
जीवन सफल हो जायेगा तेरा,
तब तुम याद करोगे हमें ।।
ज्यादा जिद्दी बनना है उचित नहीं,
जरा अपने दिल को भी समझाओ तुम ।
बैर से बैर कभी नहीं मिटेगा,
एक दूजे को गले लगाओ तुम ।।
अपना ही हो तुमसब यहाँ,
अपनों को नहीं रूलाओ तुम ।
मेरा कलेजा दुखता है,
अपने दिल को जरा समझाओ तुम ।।
क्या तेरा कलेजा है पत्थर का,
जो होता तुम्हें कुछ आभास नहीं ।
इतिहास गवाह महाभारत का,
क्या इससे भी तुझे अहसास नहीं ।।
मुर्ख हो तुम ज्ञानी नहीं,
जो आभास तुम्हें कुछ होता नहीं ।
लड़ा है जो आजतक यहाँ पे,
उसका विनाश ही हुआ कुछ पाया नहीं ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 05/06/2023
समय – 06 : 32 ( सुबह )