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5 Jun 2023 · 1 min read

बात मेरा मानो तुम

हम तुम्हारे बाप हैं,
हमसे मुँह मत लड़ा ।।
जितना हम कहते हैं,
पग उतना बढ़ा ।।

बात मेरा मानो तुम,
जो कहता हूँ, उसे करो ।
इस उम्र में अब तो तुम,
थोड़ा सा धीरज रखो ।।

हो रहे हो सयाने तुम,
बढ़ रही है उमर तेरी ।
गलती किसी का हो,
तुम बात मान लो मेरी ।।

समझोगे बात मेरा तो,
ना होगी परेशानी तुम्हें ।
जीवन सफल हो जायेगा तेरा,
तब तुम याद करोगे हमें ।।

ज्यादा जिद्दी बनना है उचित नहीं,
जरा अपने दिल को भी समझाओ तुम ।
बैर से बैर कभी नहीं मिटेगा,
एक दूजे को गले लगाओ तुम ।।

अपना ही हो तुमसब यहाँ,
अपनों को नहीं रूलाओ तुम ।
मेरा कलेजा दुखता है,
अपने दिल को जरा समझाओ तुम ।।

क्या तेरा कलेजा है पत्थर का,
जो होता तुम्हें कुछ आभास नहीं ।
इतिहास गवाह महाभारत का,
क्या इससे भी तुझे अहसास नहीं ।।

मुर्ख हो तुम ज्ञानी नहीं,
जो आभास तुम्हें कुछ होता नहीं ।
लड़ा है जो आजतक यहाँ पे,
उसका विनाश ही हुआ कुछ पाया नहीं ।।

कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 05/06/2023
समय – 06 : 32 ( सुबह )

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