बात मतलब की करे संसार है
बात मतलब की करे संसार है
बस दिखावे के लिये ये प्यार है
काटती हैं रात दिन तन्हाईयां
ज़िंदगी जीना बड़ा दुश्वार है
दो निवालों के लिये अब देखिये
आदमी बिकता सरे बाजार है
आस्तीनों से भरोसा उठ गया
कोठियों की साँप को दरकार है
बेगुनाहों का घड़ा भरता नहीं
क़ैद में कानून है सरकार है
ढूँढिये अब तो दवा कोई मुफ़ीद
मुल्क़ अपना आजकल बीमार है
राकेश दुबे “गुलशन”
23/07/2016
बरेली