बात इतनी सी जरा
2122 – 2122 – (ग़ज़ल) – 2122 – 212
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पत्नी
सुन मिरे ओ हमसफ़र जी बात इतनी सी जरा,
आप बिन मुश्किल डगर थी बात इतनी सी जरा।
पति
बात तो है यह बहुत बीती पुरानी आज तुम,
रात दिन छायी रही दिल पर बात इतनी सी ज़रा।
पत्नी
याद कर लो वो तनिक लम्हे गुजारे साथ थे,
भूल कर बैठे हमी को बात इतनी सी जरा।
पति
आज भी यादें जहन में क्या बताऊँ मैं बता,
तुम रहोगी जान हमदम बात इतनी सी ज़रा।
पत्नी
चल रही आबो हवा उल्टी दिशा में जान लो,
तुम बिना हम कुछ नही है बात इतनी सी ज़रा।
पति
यार मनसीरत रहा पूजता यहाँ पल पल पहर है,
है बसर मुमकिन नहीं सुन बात इतनी सी ज़रा।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)