“बात अंतस की”
उमड़ते रंगों के संग,
यादें धुंधली उमड़ रही है।
मेरे भीतर की लड़की
खुद से मिल- बिछड़ रही है।
पिघलती दिल के हाथों कभी,
कभी देखो अकड़ रही है।
सब कुछ तो बदल चुका है,
ये किस दौर की बातें कर रही हैं।
ओसमणी साहू रायपुर (छत्तीसगढ़)
उमड़ते रंगों के संग,
यादें धुंधली उमड़ रही है।
मेरे भीतर की लड़की
खुद से मिल- बिछड़ रही है।
पिघलती दिल के हाथों कभी,
कभी देखो अकड़ रही है।
सब कुछ तो बदल चुका है,
ये किस दौर की बातें कर रही हैं।
ओसमणी साहू रायपुर (छत्तीसगढ़)