बातें ही बातें
खुली छतों पर
मनकही बतकही
कहीं खामोशियों में डूबी
खिलखिलाहटो की आहटें
आशाओं की डोरी से बंधी
खूबसूरत सौगातें
यह बातें ,वह बातें ,वह बातें ,हो बाते
चाची वो मामी
ताई की फुसफुसाहटे
ठहाकों को लगाम देती दादी की घुङकिया
खुशबुओ में बसे वो रिश्ते वो नाते
यह बातें वो बातें वो बातें वो बाते
कभी शोर मचाती
कभी खामोश जुबां से
चांदनी की कलम से
रूह पर लिख जाती बाते
जो मैने कही भी नही,
जान ली थी तुमने
कहानियों सी रातें
यह बातें वह बातें वो बातें