बातें तो बस बातें है बातों का क्या ?
महिला सशक्तिकरण वहां होता है ,
जहां उन्नत और ऊंचे विचारों वाला पुरुष हो ।
महिला दिवस भी उस महिला का सदा होता है ,
जिस घर में महिला का सदैव आदर हो ।
अन्यथा यह सब बातें है बातों का क्या !
प्रत्यक्ष रूप में न दिखे और मात्र शब्दों में हो ,
तो ऐसे लुभावने शब्दों का ओचित्य क्या,,?