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26 Jul 2019 · 1 min read

बातूनी

बातूनी

मैं बैठा था
एकान्त में
होना चाहा निशब्द
परन्तु हो न सका

नहीं हिले होठ
नहीं हिली जुबान
लेकिन बोलता रहा
अपने-आप से
चलता रहा
विचारों का चक्रव्यूह
एकान्त में भी

दौड़ते रहे घोड़े
स्मृतियों के
मैदान में

एकान्त में शायद
हो जाता हूँ
और अधिक बातूनी

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
1 Like · 201 Views
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