Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2021 · 1 min read

बाती की पुकार

देखते है हम बस दीये की रोशनी को
कोई नहीं देखता उस बाती की कुर्बानी को
जो जलाकर स्वयं को हर क्षण
जीवन में रोशनी दे रही है हम सभी को।।

कोई तो जीवन में तुम्हारे भी
बाती का काम कर रहा है
जो आज पहुंचे हो मंज़िल पर
कोई तो दिन रात जल रहा है।।

चाहता है देखना वो तुमको
खुश रहो तुम हमेशा जीवन में
जब नहीं रहेगा वो, फिर भी
खुशियां खेलती रहे तुम्हारे आंगन में।।

हमेशा करते है हमारे मां बाप
हमारे जीवन में बाती का काम
नहीं चाहिए उन्हें कुछ हमसे
खुश है, हमसे हो जो उनका नाम।।

माना आज उस छोटे दीपक से
सूरज बन गए हो तुम
समझते नहीं तुम अब कैसे
तेरे बिन जी रहे है हम।।

कभी तो आ जाया कर देखने
तेरी याद में कैसे कट रहे है दिन
बाती अब जल चुकी है पूरी तरह
नहीं रह पाएगी, अपने सूरज के बिन।।

Language: Hindi
9 Likes · 3 Comments · 627 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
लहसुन
लहसुन
आकाश महेशपुरी
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फागुनी है हवा
फागुनी है हवा
surenderpal vaidya
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं भटकता ही रहा दश्त ए शनासाई में
मैं भटकता ही रहा दश्त ए शनासाई में
Anis Shah
शोषण
शोषण
साहिल
शब्द
शब्द
लक्ष्मी सिंह
आज की नारी
आज की नारी
Shriyansh Gupta
मां के हाथ में थामी है अपने जिंदगी की कलम मैंने
मां के हाथ में थामी है अपने जिंदगी की कलम मैंने
कवि दीपक बवेजा
जब तात तेरा कहलाया था
जब तात तेरा कहलाया था
Akash Yadav
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
Manisha Manjari
एक बाप ने शादी में अपनी बेटी दे दी
एक बाप ने शादी में अपनी बेटी दे दी
शेखर सिंह
यादें
यादें
Tarkeshwari 'sudhi'
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
gurudeenverma198
पिरामिड -यथार्थ के रंग
पिरामिड -यथार्थ के रंग
sushil sarna
संसार का स्वरूप
संसार का स्वरूप
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
कवि रमेशराज
डिप्रेशन में आकर अपने जीवन में हार मानने वाले को एक बार इस प
डिप्रेशन में आकर अपने जीवन में हार मानने वाले को एक बार इस प
पूर्वार्थ
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
प्रेमदास वसु सुरेखा
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
Anil Mishra Prahari
अध्यात्म का अभिसार
अध्यात्म का अभिसार
Dr.Pratibha Prakash
"बेटी"
Dr. Kishan tandon kranti
बिछड़ा हो खुद से
बिछड़ा हो खुद से
Dr fauzia Naseem shad
12, कैसे कैसे इन्सान
12, कैसे कैसे इन्सान
Dr Shweta sood
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
*मुर्गा (बाल कविता)*
*मुर्गा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
वेलेंटाइन डे आशिकों का नवरात्र है उनको सारे डे रोज, प्रपोज,च
वेलेंटाइन डे आशिकों का नवरात्र है उनको सारे डे रोज, प्रपोज,च
Rj Anand Prajapati
नाम में सिंह लगाने से कोई आदमी सिंह नहीं बन सकता बल्कि उसका
नाम में सिंह लगाने से कोई आदमी सिंह नहीं बन सकता बल्कि उसका
Dr. Man Mohan Krishna
2347.पूर्णिका
2347.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
shabina. Naaz
Loading...