बातचीत
बातचीत
सरकार का हर वक्त सार्थक बातचीत से पीठ मोड़ना,
और हठधर्मिता का ठीकरा किसानों के सिर फोड़ना।
चाहे कितने ही आंदोलनकारी जान से जाएँ ग़म नहीं,
पर इनका एक भी वोटर होना चाहिए कम नहीं।
पर उनका धीरज टूटता नहीं हर बार मज़बूत होता है,
हाकिम हर बार अपनी करतूत पर छुप कर रोता है।
अपने तरकस में जितने भी तीर थे चला कर देख लिए,
अंदोलन तोड़ने को कौन से अनैतिक काम नहीं किए?
उनका इल्ज़ाम कि बातचीत नहीं चाहता किसान,
पर अंदोलन तो बातचीत का ही होता है आवाहन।
नेक नीयत रखने पर ही प्रयास सफल होगा,
आप प्रतिनिधि हो, मसला तो बातचीत से ही हल होगा।