*बाजारों में जाकर देखो, कैसी छाई दीवाली (हिंदी गजल)*
बाजारों में जाकर देखो, कैसी छाई दीवाली (हिंदी गजल)
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1)
बाजारों में जाकर देखो, कैसी छाई दीवाली
सड़कों के ऊपर झिलमिल-सी, जाल बुनाई दीवाली
2)
सभी दुकानें चमक रही हैं, नई पुताई हो-होकर
खूब कमाई हर दुकान में, देखो लाई दीवाली
3)
निकले हैं सब लोग घरों से, पत्नी पति बच्चे सारे
जो मिलता है उसे दे रहे, लोग बधाई दीवाली
4)
अच्छे कपड़े हैं पहने सब, सजी-धजी सारी सड़कें
आतिशबाजी जब देखी तो, मन को भाई दीवाली
5)
कल से अंधकार होगा फिर, सड़कें सूनी-सूनी-सी
मन कहता है अति सुंदर क्यों, रोज न आई दीवाली
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451