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9 Jun 2023 · 1 min read

“बाकी है”

अब तलक मेरा इम्तहान बाकी है,
अभी जख्मों की दास्तान बाकी है।

मेरी खामोशी को सजा न दीजिए,
अभी सब्र का आसमान बाकी है।

सारी नींद तेरे इन्तजार को दे दी,
अब हसीं ख्वाबों की उड़ान बाकी है।

आईना के सामने से गुजरना है मुझे,
अभी शिनाख्ती का अंजाम बाकी है।

यादों की झाड़ियाँ है बहुत कटीली,
अब भी जख्मों के निशान बाकी है।

यूँ तो जारी है सफ़र जिन्दगी का,
अभी मंजिलों की पहचान बाकी है।

-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य एवं लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त-2023

Language: Hindi
6 Likes · 5 Comments · 264 Views
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