बाक़ी है..!
“मंज़िल तो चुन ली है,
बस रास्ते पर चलना बाकी है।
आफताब तो बन गई हूं,
बस आसमान में चमकना बाकी है।
कदम बढ़ाना तो सीख गई हूं,
बस चलते रहना बाकी है।
पर मेरे ठीक हो गए हैं,
बस उड़ना बाकी है।”
– सृष्टि बंसल
(आफताब – सूरज ; sun)
“मंज़िल तो चुन ली है,
बस रास्ते पर चलना बाकी है।
आफताब तो बन गई हूं,
बस आसमान में चमकना बाकी है।
कदम बढ़ाना तो सीख गई हूं,
बस चलते रहना बाकी है।
पर मेरे ठीक हो गए हैं,
बस उड़ना बाकी है।”
– सृष्टि बंसल
(आफताब – सूरज ; sun)