Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jan 2024 · 1 min read

*निर्धनता सबसे बड़ा, जग में है अभिशाप( कुंडलिया )*

निर्धनता सबसे बड़ा, जग में है अभिशाप( कुंडलिया )
________________________________
निर्धनता सबसे बड़ा , जग में है अभिशाप
किसने इज्जत से कहा ,निर्धन को श्री-आप
निर्धन को श्री – आप , लताड़ा हरदम जाता
रिश्तेदार न पास , कभी उसको बैठाता
कहते रवि कविराय , बैर सुख से है ठनता
जीवन का उपहास , उड़ाती नित निर्धनता
~~~~`~~~~~~~~~~~~~~`~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
Rajesh
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"संघर्ष "
Yogendra Chaturwedi
गम के बगैर
गम के बगैर
Swami Ganganiya
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
उम्मीद -ए- दिल
उम्मीद -ए- दिल
Shyam Sundar Subramanian
शिक्षक
शिक्षक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
आवारा परिंदा
आवारा परिंदा
साहित्य गौरव
वस्तु वस्तु का  विनिमय  होता  बातें उसी जमाने की।
वस्तु वस्तु का विनिमय होता बातें उसी जमाने की।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
परमेश्वर दूत पैगम्बर💐🙏
परमेश्वर दूत पैगम्बर💐🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
घर घर रंग बरसे
घर घर रंग बरसे
Rajesh Tiwari
गाँव से चलकर पैदल आ जाना,
गाँव से चलकर पैदल आ जाना,
Anand Kumar
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*भर ले खुद में ज्योति तू ,बन जा आत्म-प्रकाश (कुंडलिया)*
*भर ले खुद में ज्योति तू ,बन जा आत्म-प्रकाश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
ठग विद्या, कोयल, सवर्ण और श्रमण / मुसाफ़िर बैठा
ठग विद्या, कोयल, सवर्ण और श्रमण / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
कवि दीपक बवेजा
(5) नैसर्गिक अभीप्सा --( बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता )
(5) नैसर्गिक अभीप्सा --( बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता )
Kishore Nigam
2611.पूर्णिका
2611.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हम दोनों के दरमियां ,
हम दोनों के दरमियां ,
श्याम सिंह बिष्ट
पिता
पिता
Harendra Kumar
किस्मत की लकीरें
किस्मत की लकीरें
umesh mehra
पढ़ाकू
पढ़ाकू
Dr. Mulla Adam Ali
राहों में उनके कांटे बिछा दिए
राहों में उनके कांटे बिछा दिए
Tushar Singh
5) कब आओगे मोहन
5) कब आओगे मोहन
पूनम झा 'प्रथमा'
अब कुछ चलाकिया तो समझ आने लगी है मुझको
अब कुछ चलाकिया तो समझ आने लगी है मुझको
शेखर सिंह
अतिथि हूं......
अतिथि हूं......
Ravi Ghayal
खिलाडी श्री
खिलाडी श्री
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वासुदेव
वासुदेव
Bodhisatva kastooriya
Loading...