बाँट रहे रे
बेशर्म की कलम से
अब ना अपने ठाठ रहे रे।
निज जख्मों को चाट रहे रे।।
कलतक जो मेरे अपने थे।
वो ही मुझको डांट रहे रे।।
क्रीम पावडर के इस युग में।
हर कोई दिखता हॉट रहे रे।।
भैया जी को मिली रेबड़ी।
चीन्ह चीन्ह कर बाँट रहे रे।।
जिससे पूछा हाल बेशरम।
कहे समय को काट रहे रे।।
विजय बेशर्म
गाडरवारा 9424750038