==* बहोत छोटी है उम्र जिंदगी की *==
बहोत छोटी है उम्र जिंदगी की
कशमकश भरी राह जिंदगी की
भर आती है आँखे याद कर कुछ
छूट जाती है सौगात जिंदगी की
है तो मानो सारी खुशिया जिंदगी में
है कमी सी खल रही क्यों जिंदगी की
चल रही है रात दिन नित जिंदगी ये
उड़ रहा मन ओढ़ चुनरी जिंदगी की
रिश्ते नाते प्यार नफ्रत है बहोत से
प्यास फिर मिटती नहीं क्यों जिंदगी की
है अधूरी बात कोई छल रही जो
सोचता हु चाह क्या है जिंदगी की
अब तो बस उम्मीद छोड़े चल रहा हु
हो रहा जो मर्जी मानो जिंदगी की
ना शिकायत ना गिला अब है किसीसे
मैं भी चलदू राह पकडे जिंदगी की
मैं भी चलदू राह पकडे जिंदगी की
———————//**–
शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र. ९९७५९९५४५०