बहे संवेदन रुप बयार🙏
बहे संवेदन रुप बयार🙏
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बहे बयार देखा है सबने
आकार प्रकार बिकराल
हिलते डुलते टूटते देखा
रंग सलोना देखा किसने
स्पर्श स्पंदनअनुभव ज्ञान
गंघ सुगंध स्पर्श पहचान
तमस तपी उष्ण आर्द्रता
पवन तन से टकराता है
सुखद शीतल ताप उग्रता
जटिलता अनुकूलता की
महसूसी डगर पकड़ता है
जीव जन्तु सा रूप नहीं
तन मन तरंगित रक्त चाप
गति संवेदना अनुभव ही
खतरे की घंटी बजाता है
सावधान उपचार कराता
पर्णी औषध दु:ख हरणी
कष्ट वेदना पीड़ा दर्द चुमन
मरहमपट्टी दवा दारूसेवा
सुसुरषा स्नेह संवेदन रूप
विहीन एहसास अनुभूति
संगीत नाद की शालाओं
बिखरे स्वर तन में कंपन
मस्तिक प्रक्रिया उत्तेजित
काया को माया में करता
संवेदन स्वत थिरकाता है
अहंकार हुंकार परोपकार
रूपहीनआकार विहीन
संवेदना उर्जात्मक भंडार
सृष्टि बीजमूल मंत्र स्वरूप
अनुभव युक्त संवेदना है
सौहार्द प्रेम भाव भावना
संवेदना कायम रखना है।
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तारकेशवर प्रसाद तरूण