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8 Jul 2021 · 1 min read

बहे पुरवइया

पुरइन के पात नियर चिकन अंगनइया
बहे पुरवइया, मोरे अमरइया
बहे पुरवइया……..

कतहूँ बिरहिनिया के मन ना थिराला
अंसुअन से रोज रोज चउका लिपाला

राति राति भर खनके कहूँ कंगनइया
बहे पुरवइया……

कोइलरि के कुहू कुहू, पपिहा के पी पी
काँच काँच अमवन पर खूब चले सीपी

खटलुसवा खाजा पर बहके मनइया
बहे पुरवइया………

सावन में झुलुआ पर कजरी गवाला
फगुआ आ चइता में जिनिगी लिखाला

खेलें ‘असीम’ कबो घुमरी परइया
बहे पुरवइया……….
© शैलेन्द्र ‘असीम’

Language: Bhojpuri
Tag: गीत
431 Views
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