बहे ज्योति की निर्मल धारा
शुचिता समता सौम्यभाव का ।
सभी और हो दिव्य नजारा। ।
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खुशियां बांटें आपस में हम।
बढा रहे शुभ भाईचारा ।।
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स्वर्ग उतर आए धरती पर ।
मानवता का मिले सहारा। ।
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मिटे ताप संताप सभी का ।
चमके सबका भाग्य सितारा। ।
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सं-पुंजन त्यौहार हमारा।
कितना पावन कितना प्यारा।
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कण – कण आभा से आलोकित हो।
बहे ज्योति की निर्मल धारा।।
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प्रस्तुति – रामबाबू ज्योति
रामपुरी कालोनी, गुप्तेश्वर रोड, दौसा, राजस्थान।