बहू बेटी है , बेटी नहीं पराई
मायके से एक बेटी बहू बनकर आई
दोनों घरों में नहीं अब वह है बेटी पराई
उसने माता-पिता का घर नहीं है छोड़ा
उसने तो दो घरों को सदा के लिए जोड़ा
अब वह रखती दोनों घरों का ख्याल
एक घर मायका और दूसरा ससुराल
सास ससुर भी हैं उसके माता-पिता
बहू को बेटी बना रखते यह माता-पिता
हे दुनिया वालो बेटी को मत जानो पराई
सुनो ध्यान से माता पिता बहिनें और भाई
उसे भी उसी माता ने अपनी कोख से जाई
जिससे जन्म लिए सभी बहिनें और भाई
जब मिल जाते हैं दोनों घरों के संस्कार
दोनों घरों में आ जाता खुशियों का संसार
मिलता दोनों घरों में उसे भरपूर लाड़ दुलार
वह भी करती ओम् दोनों परिवारों को प्यार
ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्यप्रदेश