बहुत हसीन हो, तुमको संवर के देखूंगा
बहुत हसीन हो,तुमको संवर के देखूं गा
तुम्हारी आंख में मैं भी उतर के देखूंगा।
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सुना है लोग हैं साहिर तुम्हारी बस्ती के।
कभी गली से तुम्हारे गुज़र के देखूंगा।
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तुझे तरस कभी आएगी हाल पर मेरे ।
मैं अपने आप को बर्बाद करके देखूंगा
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तुम्हारे लफ़्ज़ों में जादू है जीत लेने का।
तुम्हारे प्यार में मैं हार कर के देखूंगा।
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उसको भेजूंगा मैं पैगाम ए मोहब्बत पहले।
बनेगी बात, अगर बात करके देखूंगा
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तुम्हारे दम से ही है रोशनी मेरे घर में ।
तसव्वुरात में दीवार ओ दर को देखूंगा।
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बड़े जतन किए दीदार को तेरे मैंने।
अगर तू ख्वाब है ताबीर करके देखूंगा।
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सगीर हुस्न है उसका कोई नगीना सा।
निसार करके सब लाल ओ गुहर मैं देखूंगा।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी
खैरा बाजार बहराइच