बहुत देखें हैं..
मैं सबको ज़िंदगी इसलिए देती हूं ,
क्योंकि मैंने मरते हुए लोग बहुत देखें हैं ।
मैं सबके चेहरे पर मुस्कान इसलिए बनाए रखती हूं ,
क्योंकि मैंने गम बहुत देखें हैं ।
मैं किसी को अपना दर्द इसलिए नहीं बताती हूं ,
क्योंकि मैंने ज़ख्म पर नमक छिड़कने वाले बहुत देखें हैं ।
मैं सबका साथ इसलिए देती हूं ,
क्योंकि मैंने टूटते रिश्ते बहुत देखें हैं ।
मैं दोस्त बनाने में इसलिए भरोसा करती हूं ,
क्योंकि मैंने दुश्मन बहुत देखें हैं ।
मैं किसी को अपनी सोच इसलिए नहीं बताती हूं ,
क्योंकि मैंने चालाक बहुत देखें हैं ।
मैं इंसानियत इसलिए निभाती हूं ,
क्योंकि मैंने शैतान बहुत देखें हैं ।
✍️सृष्टि बंसल