बहुत गहरी थी रात
बहुत गहरी थी रात लेकिन
हम अब तक सोए नहीं,
किसी की याद आ रही है
दूसरे खयालों में कोई नहीं,
दर्द बहुत था दिल में लेकिन
हम अभी तक रोए नहीं,
कोई नहीं हमारा
जो पूछे हमसे हाल हमारा
हमारे हाथों को पकड़ कर पूछे
आधी रात को
जग रहे हो किसी के लिए
या किसी के लिए सोए ही नहीं?
बहुत गहरी थी रात लेकिन
हम अब तक सोए नहीं।
: राकेश देवडे़ बिरसावादी