बहुत खूबसूरत हो तुम
बहुत खूबसूरत हो तुम
सुबह की पहली किरण रात की बिखरी चांदनी हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुम
देखता हूं जो ख़्वाब नींद में उस ख़्वाब की हकीकत हो तुम
हवा में गूंजता संगीत हो भोले की गुनगुनाहट हो तुम
सुबह की लालिमा दोपहर की तपती धूप रात की खिली चांदनी हो तुम
सूरज लेता है तुमसे उजाला खिलता हुआ है यौवन
जैसे प्रकृति का रूपनिराला इक चमचमाती सुनहरी धुप हो तुम
कुदरत का दिया हुआ अनमोल उपहार हो तुम
छाई घनघोर काली घटा बादलों की तेज गर्जना हो तुम
बरखा की रिमझिम बरसती मदमस्त फुहार हो तुम
पत्ता पत्ता तुम्हारा नाम लेता इक अधखिली कली हो तुम
है चमन में बहार तुमसे है राग की रागिनी तुमसे इक
कर्णप्रिय मधुर संगीत हो तुम झरनों की कल कल सब
दिशाओं का कोलाहल पर्वतोंके लिए आरोही हो तुम
हीरे सी झिलमिलाहट सोने से चमचमाहट पक्षियों की
सुगबुगाहटहो तुम ,हर रंग तुमसे बना ऐसी रागिनी हो तुम
चंदन सी काया तुम्हारी बहती रूप की धारा
काम मोह तुममें बसा ऐसी कामिनी हो तुम
ईश्वर की एक सुंदर अनोखी रचना हो तुम
बहुत खूबसूरत हो तुम ||