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11 Dec 2016 · 1 min read

बहुत खुशनसीब होती हैं बेटियाँ

बेटियों को बदनसीब माना जाता है क्योंकि उन्हें अपना घर परिवार संगी सहेलियों को छोड़कर नया संसार बसाना पड़ता है।

पर मैं कहता हूँ:

बहुत खुशनसीब होती हैं बेटियाँ,
उन्हें अपना घर छोड़कर ससुराल जाना पड़ता है।
बीच सफ़र में ही उन्हें एक नया सफर शुरू करना होता है।
वो पूरा जीवन अपने माता पिता के साथ नहीं रह पातीं।
बीमारी व सुख-दुःख में भी कई बार साथ नहीं हो पातीं।
कभी कभी तो वो अंत समय भी माता पिता के पास नहीं होतीं।
अर्थी को कन्धा और चिता को अग्नि देने का अधिकार भी उन्हें नहीं मिलता।
पर फिर भी
बहुत खुशनसीब होती हैं बेटियाँ।

जिन कन्धों पर चढ़कर दुनिया देखी,
उन्हें कमज़ोर होते देखना आसान नहीं होता।
जिन हाथों को पकड़कर चलना सीखा,
उन्हें कंपकपाते हुए देखना आसान नहीं होता।
जिन आँखों में खोई उम्मीद व हिम्मत वापस मिल जाती थी,
उन्हें धुंधला होते देखना आसान नहीं होता।
हर मुश्किल से बचाने वाली चट्टान से मज़बूत छत,
दिन-ब-दिन कमज़ोर होते देखना आसान नहीं होता।
जिनके साथ और आसपास पूरा जीवन खेले,
उनकी निर्जीव देह को कन्धा देना आसान नहीं होता।
जिस देह के प्रेम से स्वयं हमारी देह की उत्पत्ति हुई,
उस देह को क्रूर अग्नि को अपने हाथों समर्पित करना आसान नहीं होता।
बहुत खुशनसीब होती हैं बेटियाँ

सच में, बहुत खुशनसीब होती हैं बेटियाँ

————शैंकी भाटिया
अक्टूबर 7, 2016

Language: Hindi
Tag: लेख
485 Views
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