बहुत खास हो तुम!
हां बहुत खास हो तुम
दिल के बहुत पास हो तुम!
सूरज की पहली किरण
भोर की नई उजास हो तुम!
ये प्यार, इश्क, मुहब्बत
जीवन का आभास हो तुम!
ढूंढती हैं निगाहें हर वक्त
यहीं कहीं आस पास हो तुम!
दीदार हो जाए, बस एक झलक
जीवन का नूर आधार हो तुम!
हवाओं में घुली बहारें, महक
प्राणों में बसी सांस हो तुम!
गर रूह का घर है यह जमीं,
तो मेरे लिए आसमां हो तुम!
मंदिर देवालय सब जग ढूंढा
भोर सवेरे की अरदास हो तुम!
नैराश्य भरी जिंदगी में
जीवन की नई आस हो तुम!
प्रभु का दिया आशीर्वाद
हां! बेहद खास हो तुम!
खयालों में रहता है फिक्र जिसका
वही हर वक्त का अहसास हो तुम!
प्रभु! मन दे चुका है सब कुछ
फिर भी हर बार सुनना चाहते हो तुम!