*बहुत खलता हूं*
बहुत खलता हूं
कुछ को तो बहुत खलता हूं,,
इतना सा ही हूं,,
पर दूर तक चलता हूं,,,
कई रुकबाट झेलकर,,
आगे बढ़ रहा हूं,,
बहुत देर तक चलता हूं,,,
मेरे अपनो का साथ,,
जिधर भी जाता हूं,,
कारवाँ यारों का ले निकलता हूं,,,
बहुत कम है मेरा बजूद,,
दीया माटी का हूं,,
पहाड़ो पे जलता हूं,,,
बस उसका साथ है,,
उसकी दुआओं का आदी हूं,,
ढालो मनु हर शक्ल में ढ़लता हूं,,,
?मानक लाल मनु?