बहुआयामी वात्सल्य दोहे
सब अभिभावक चाहते, घर में श्रवण कुमार
रात-दिवस सेवा करे, जब-जब हों बीमार //1.//
अपनाये संस्कार तो, भूलो मत इन्सान
जन्म मिले माँ बाप से, ऋणी रहे सन्तान //2.//
त्यागा पुत्र वियोग में, पिता ने जब शरीर
छलनी गहरे कर गया, लगा राम को तीर //3.//
धृतराष्ट्र बनो तुम नहीं, त्याग दो पुत्रमोह
वरना होगा झेलना, इक दिन पुत्र बिछोह //4.//
अवगुण में दुत्कारना, भूल गए हैं लोग
इसी लिए सन्तान में, आया है हठयोग //5.//
माँ की वो ममता रही, और पिता का प्यार
दोनों से मिलता रहा, हरदम प्यार-दुलार //6.//
बरसी है हरदम यहाँ, सदा नेह की धूप
मात-पिता ने विश्व को, दिया प्रेम का रूप //7.//
मात-पिता को मानिये, रब का ही अवतार
मोल न कोई कर सके, इतने हैं उपकार //8.//
बच्चे बिलखें भूख से, पिता रहा है काँप
डसने को आतुर खड़ा, महंगाई का साँप //9.//
महंगाई के प्रेत ने, किया लाल को मौन
मात-पिता हैरान हैं, उनको पूछे कौन //10.//
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