बहरा खानदान -(भाग 1)
किसी गांव में एक अठ्निया नामक किसान रहता था ।उसके चार बेटे थे । फ्फरा,मचान ,टेटरा और हरखू ।फ्फरा अपने पिता के साथ खेतीबाड़ी करता था , मचान किराना दुकान खोले हुए था, टेटरा ऊपरी काम करने वाला काम करता था यानी किसी -किसी के बुलाने पर काम किया करता था, और हरखू घर का सबसे छोटा होने के कारण कोई भी काम धाम नहीं करता था ।कह सकते हैं कि “निट्ठला “था ।फ्फरा की शादी धनिया नामक लड़की से हो चुकी थी जिसे लोग धन्नो-धन्नो कहते थे ।किसान की एक बेटी सुगिया जो अपने ससुराल में रहती थी ।
आश्चर्य की बात यह थी कि सब-के- सब बहरे थे ।उन लोगों के जीवन की गतिविधियाँ कैसे चलती थी वह ईश्वर हीं जाने किन्तु गांव के लोग परेशान हो जाते थे ।
एक दिन की बात है फ्फरा अपने खेत में हल चला रहा था और गीत गा रहा था –
हमारा बैल, चले जब चाल,
नाचे धरती,करे कमाल,
सोना उपजे,चांदी उपजे,
हो जाए, घर मालामाल,
हो ए ए- – – ।
तभी एक पुलिस आता हैऔर पूछता है -कद्दू ढाला जाने का रास्ता किधर है? किन्तु फ्फरा अपनी धुन में गाता जा रहा था हमारा बैल – – ।
पुलिस उसे स्पर्श करते हुए पूछता है, कद्दू ढाला जाने का रास्ता किधर है? फ्फरा अपनी मुरेठा (पगड़ी )खोलते हुए अचंभित होकर कहता है -सरकार ! हम आपको नै देखे थे ।
पुलिस -कोई बात नहीं! हमें कद्दू ढाला जाने का रास्ता बता दो ।फ्फरा समझा कि पुलिस उसका जमीन खरीदना चाह रहा है ।उसने कहा-हम ई जमीन नै बेचेंगे, ई जमीन हमरा माय-बाप है ।आगे बोला सरकार! हम चार भाय हैं (अंगुली पर गिनता है )हमरा नाम फ्फरा है,उससे बाद मचान, टेटरा और हरखू ।फिर लजाते हुए कहा सरकार! हमर वियाहो (शादी ) हो गया है उसको हम सब धन्नो कहते है ।पुलिस हँसते हुए कहा ठीक है! ठीक है! कद्दू ढाला जाने का रास्ता बता दो ।
नहीं सरकार! हम ई जमीन नहीं बेचेंगे , हम बोले न हम घर के बड़का बेटा हैं ।हम ही जमीन बेचेंगे तो छोटका भाय सब कि करेगा? पुलिस झुझला कर कहा जमीन नहीं चाहिए, कद्दू ढाला जाने का- – -फ्फरा -नहीं! नहीं! हम नहीं (कहता हुआ) पीछे हटता है इतने में पुलिस जोर से चिल्लाया और बोला बहरा हो क्या? हमें तुम्हारा जमीन नहीं, कद्दू ढाला जाने का रास्ता बताओ। फ्फरा सिर हिला कर नहीं का कहना चाहा ।पुलिस गुस्से में एक तमाचा मारा ।पुलिस –अरे कद्दू कद्दू – – – ।
फ्फरा डर गया और बोला आप चाहते हैं तो 30000रू कट्ठा दे देंगे ।अब पुलिस के गुस्से का ठिकाना न रहा वो अपनी बंदूक उसकी ओर दिखाई अब फ्फरा पूर्णरूपेण डर गया ।उसने समझा अब उसकी मृत्यु निश्चित हो गई और हकलाते हुए कहा स- सर-सरकार! सरकार!आप को जैसे लेना है वै वैसे जमीन ले लीजिए हम हम आपको दे देंगे।हमको जान से मत मत———————।अब पुलिस का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया ।बहरा कहीं का सटा-सट थप्पड़ दे मारी और बड़ बड़ाता हुआ चला गया ।
बेचारा रोता विलखा और फिर चुप हो कर बैठ गया ।
इसी समय फ्फरा की पत्नी दोपहर का खाना लेकर गीत गाते हुए-
चंदा सी चमके ,हमरी सूरतिया,
दांत लगे दाना अनार,
हम हैं धन्नो ओ रानी, धन्नो ओ रानी।
पूरबा बहे ,पछिया बहे,
साड़ी का पल्लु, उड़ -उड़ कहे ,
हम हैं धन्नो ओ रानी, धन्नो ओ रानी — – – ।फ्फरा के पास पहुंची।
(हर्षित मन से अपने पति के लिए लाए हुए भोजन की पोटली खोल कर रख दी )
फ्फरा उदास तो था ही, धीरे से एक निवाला मुंह में लिया ।पत्नी को सामने पा कर, उसके हृदय की व्यथा,सारी बांधों को तोड़ता हुआ,आँखों से आँसू की धार बन कर निकल पड़ी ।इन दृश्य को देखकर चंचल चित वाली धन्नो समझी कहीं सब्जी तीखी तो नहीं हो गई। अचंभित होकर पूछी-क्या हुआ जी?
फ्फरा अब अपना सारा धैर्य खो बैठा और वह जोर- जोर से रोने लगा ।
धन्नो बोली हम तरकारी में एके ठो मिर्चाय दिए, तरकारी करू कैसे हो सकता है (मैं सब्जी में एक ही मिर्च डाली थी सब्जी तीखी कैसे हो सकती है )
फ्फरा समझा मानो धन्नो सहानुभूति के शब्द बोल रही है और फ्फरा पूरा वृतांत सुनाने लगा -एक ठो सिपाही आया था – – – ।धन्नो समझी जैसे उसकी शिकायत कर रहा हो सब्जी कितना तीखा बना दी ।धन्नो बार-बार बोल रही थी एक ठो मिर्चाय से तरकारी करू कैसे होगा? हम किसी के साथ गलत व्यवहार करते हैं क्या? फ्फरा अपनी चोट दिखाने के लिए धन्नो का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचता है ।धन्नो सोची तीखी सब्जी के कारण अब फ्फरा उसे मारेगा ।वह हाथ छुड़ाना चाहती है और फ्फरा अपनी ओर । धन्नो जैसे तैसे अपने आप को बचा कर भागती है ।
रोते-बिलखते सास के पास आकर बोलती है म मा माँ! माँ जी!आज आप का बेटा हमको मारने के लिए उठा था अ ह ह हाऽऽऽऽऽ।
सास को हुआ धन्नो अपनी जेवर मांग रही है जो फ्फरा की बहन(सुगिया ) की शादी में कुछ अर्थाभाव के कारण ही दे दिया गया था ।इसलिए रो रही है ।सास उसके बालों को सहलाते हुए बोली बेटा! तुम तो घर की थी, इसलिए तुम्हारा गहना दे दिए ।तुम मेरी बड़की पुतोह हो, तुम्हारा गहना हम नहीं रखेंगे ।हम दे देंगे ।धन्नो-मा माऽऽऽऽ हम एक ठो मिर्चाय हऽ ऽऽऽ——–।
धन्नो की सास अठ्निया के पास जाकर बोली देखिए जी! आप धन्नो का गहना क्यों नहीं लौटा देते हैं, आज ऊ रो-रो कर कह रही थी ।अठ्निया समझा धन्नो अपने माँ के घर जाना चाहती है इसलिए रो रही है ।अठ्निया हंस कर बोला धन्नो अभी बच्चा है इसलिए रो रही है हम भी उसको रोते-बिलखते देखे।सास-देखिए अभी धन्नो मांग रही है कल फ्फरा बोलेगा, फिर — ।हम भेज देगे, इधरे होली में तो लाए थे, भेज देंगे। सास-हम बोले थे न —- ।अठ्निया चिल्ला कर बोला” खेल मियां का टोपी है” जब मन होगा ले आएंगे जब मन होगा पहुँचा देंगे ।हम बोले न छठ पूजा में भेज देंगे ।सास-ससुर में तु-तु मैं-मैं होने लगा ।
दूसरी ओर मचान अपनी दुकान में सुबह की पूजा अर्चना कर रहा था उसी समय एक ग्राहक पूछा तेल है? मचान सिर हिला कर कहा हाँ ——–क्रमशः
* उमा झा*