बहकते हैं
बहकते हैं
हर रोज़ ये कदम,
तुम्हारे पास आने के लिए,
न जानें कितने फासले,
अभी तय करने हैं
तुम्हें पाने के लिए….!!
हिमांशु Kulshrestha
बहकते हैं
हर रोज़ ये कदम,
तुम्हारे पास आने के लिए,
न जानें कितने फासले,
अभी तय करने हैं
तुम्हें पाने के लिए….!!
हिमांशु Kulshrestha