Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2017 · 1 min read

बस यूं ही

कर ले तूं मौज
शायद नहीं मिलेगी रोज
न कर कमी
करने में कोई खुराफात
मन के दंगल
और बना ले सारा जंगल
यह समां न
लौट के आये ,मौज करले
अपने हवस की
आग को रोज ठंडा कर ले
पी ले जाम भर कर,
भर के औ दुनिया के मेहमान
जिन्दगी फिर कभी न
दोबारा तुझ को मिलेगी
अपनी बचा के दूसरे
की लूट ले,और
यह कहाँ फिर कभी
दोबारा मिलेगी
हर बात का होता है
अंत, वो तुझ पर
डिपेंड करता है
की
सुखद:: या दुखद::

अजीत

Language: Hindi
607 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all

You may also like these posts

यही है वो संवेदना है
यही है वो संवेदना है
Sandeep Barmaiya
नहीं टिकाऊ यहाँ है कुछ भी...
नहीं टिकाऊ यहाँ है कुछ भी...
आकाश महेशपुरी
गुलों पर छा गई है फिर नई रंगत
गुलों पर छा गई है फिर नई रंगत "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
" नयी दुनियाँ "
DrLakshman Jha Parimal
ज़िंदगी
ज़िंदगी
AVINASH (Avi...) MEHRA
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
🙅पता चला है🙅
🙅पता चला है🙅
*प्रणय*
आंखें मूंदे हैं
आंखें मूंदे हैं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
एक धर्म इंसानियत
एक धर्म इंसानियत
लक्ष्मी सिंह
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
Sanjay ' शून्य'
भोले बाबा है नमन
भोले बाबा है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
क्योंकि वह एक सिर्फ सपना था
क्योंकि वह एक सिर्फ सपना था
gurudeenverma198
जब सहने की लत लग जाए,
जब सहने की लत लग जाए,
शेखर सिंह
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
जीवन में अहम और वहम इंसान की सफलता को चुनौतीपूर्ण बना देता ह
जीवन में अहम और वहम इंसान की सफलता को चुनौतीपूर्ण बना देता ह
Lokesh Sharma
2603.पूर्णिका
2603.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*आई सदियों बाद है, राम-नाम की लूट (कुंडलिया)*
*आई सदियों बाद है, राम-नाम की लूट (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मन की बात
मन की बात
Rituraj shivem verma
सबसे क़ीमती क्या है....
सबसे क़ीमती क्या है....
Vivek Mishra
*नसीहत*
*नसीहत*
Shashank Mishra
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
कवि रमेशराज
"गम की शाम"
Dr. Kishan tandon kranti
खरीददार बहुत मिलेंगे
खरीददार बहुत मिलेंगे
Shekhar Deshmukh
छोड़ दिया ज़माने को जिस मय के वास्ते
छोड़ दिया ज़माने को जिस मय के वास्ते
sushil sarna
कुछ कल्पना ,कुछ हकीकत
कुछ कल्पना ,कुछ हकीकत
Dr.sima
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
खुद स्वर्ण बन
खुद स्वर्ण बन
Surinder blackpen
धीरे-धीरे कदम बढ़ा
धीरे-धीरे कदम बढ़ा
Karuna Goswami
दिल में तेरी तस्वीर को सजा रखा है -
दिल में तेरी तस्वीर को सजा रखा है -
bharat gehlot
दोहा
दोहा
Shriyansh Gupta
Loading...