बस ! तुम ही नहीं हो …
है संसार में बड़ी रौनकें ,
बस तुम्ही नही हो ।
जीवन भी चल रहे है सभी के,
बस तुम्ही नही हो ।
तुम्हारे परिवार में सकुशल है ,
बस तुम्ही नही हो ।
हो गई तुम्हारी तमन्नाएं भी पूरी ,
बस तुम्ही नही हो ।
तुम्हारे फर्ज और जिम्मेदारियां भी पूरी हुई ,
बस तुम्ही नहीं हो ।
जिसकी चिंता में तुम घुलती रही सारी उम्र ,
वो खुश है ससुराल में ।
उसे देखने के लिए बस तुम ही नही हो ।
हमने तुम्हारे साथ मिलकर जो सपने देखे ,
वो तो पूरे हो जाएंगे ,
मगर उस साथ के लिए तुम ही नही हो ।
समय का कारवां तो कभी नही रुकता,
दुनिया भी उस कारवां के साथ गतिशील है ,
हम भी तो दुनिया का ही हिस्सा हैं ,
इसे हमारी बदकिस्मती समझो या मजबूरी ,
लेकिन हमारे साथ हमसफर बनने के लिए ,
बस तुम ही नही हो ।
जाने क्यों और कैसे असमय साथ छूट गया ,
हमारा – तुम्हारा ?
काश ! तुम हमारे साथ होती दीदी !
साथ और बहुत से हम सफर है,
बस तुम ही नहीं हो ।