बस तुम चलना मत छोड़ना
जब दुनिया तुमको तंग करे
सारे दरवाज़े बंद करे।
जब ग़मों ने तुमको घेरा हो
ना रात के बाद सवेरा हो।
असफलता डेरा डाले हो
और सभी गिराने वाले हों।
जब जीवन व्यर्थ लगे लगने
आशा का दीप लगे बुझने।
साहस का तेल उठाना तुम
उस दीप में ज़रा गिराना तुम
हौले से आंखे बंद करना
और अपने मन से द्वंद करना
गहरी गहरी सांसें भरना
कुछ पल खुद से खुद की कहना।
निश्चित है जीतेगा विवेक
उसके आगे तू घुटने टेक।9
स्वयं पर विश्वास ज़रा करना।
मन की बगिया को हरा करना।
फिर देख सवेरा आएगा
एक राह नई दिखलायेगा।
उस राह पे अपने डग भरना
गिर जाए,उठ फिर ,पग धरना।
तू ठोकर खाये फ़र्क़ नहीं
तू फिर गिर जाए फ़र्क़ नहीं।
बस….
साहस नहीं छोड़ना तुम
बस,चलना नहीं छोड़ना तुम।।.
★★★धीरजा शर्मा★★★