बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
धर्म राह पर ले चल मुझको , हे मुरलीधर हे बनवारी
तुम करुणा के सागर मेरे , बस जाओ मन में त्रिपुरारी
चरण कमल तेरे सब अर्पण , जीवन से तारो बनवारी
निष्ठुर होकर भुला न देना , चरण कमल जाऊं बलिहारी
चरण कमल में ले लो हमको , पुण्य करो जीवन गिरधारी
अभिलाषा बस इतनी मेरी , मुझको दरश दे दो बनवारी
मुश्किल में है नैया मेरी , पार लगा दो हे गिरधारी
हे पावन परमेश्वर मेरे , कर दो मुझको तुम संसारी
रत्नाकर सा ह्रदय हो मेरा , कुछ ऐसा कर दो बनवारी
मैं तेरे चरणों में आकर , हो जाऊं बलिहारी
उपकार तेरा मुझ पर हो इतना , हे मुरलीधर हे गिरधारी
तुझको पाकर जीवन मेरा , खिल जाए हो बनवारी
मुझको जीवन पार लगा दो , हे मुरलीधर हे बनवारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
धर्म राह पर ले चल मुझको , हे मुरलीधर हे बनवारी
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”