बस चार है कंधे
बस चार है कंधे चार है लोग,
बाकी के सब बेकार है लोग।
कुछ आगे है कुछ पीछे है,
मतलब के सारे यार है लोग।
….बस चार है कंधे चार है लोग,
कुछ पैदल है,कुछ गाड़ी पर
अपनी अपनी सवार है लोग।
कब्र में मुझको दफनाने को,
बैठे कबसे तैयार है लोग।
….बस चार है कंधे चार है लोग,
कुछ छूट गए है कुछ आने के,
रिश्ते के रिश्तेदार है लोग।
जब चुका ना पाए जीते जी,
आज चुका रहे उधार है लोग।
…..बस चार है कंधे चार है लोग,
वो आंसू बहाते घड़ियालों से,
मंझे हुए कलाकार है लोग।
मुझे सजा रहे दूल्हे सा,
बस आज के खिदमतदार है लोग।
….बस चार है कंधे चार है लोग,
उठा लो अर्थी जल्दी से,
खड़े कबसे इंजतार है लोग।
आंगन में थोड़ी भीड़ भाड़ है,
पर गली में खड़े हजार है लोग
….बस चार है कंधे चार है लोग,
@साहित्य गौरव