बस कर
तिरे मुस्कुराते चेहरे पे दिल से कई अशआर कहा बस कर
तुझे रक़ीब के अलावा हमेशा कुछ भी ना दिखा बस कर
आज तीन साल बाद मैंने अनसुना किया तो रो पड़ी तुम
तुम्हें पुकारते पुकारते कभी चीख पड़ा था गला बस कर
मैं बेहया , खुदगर्ज़ , बे-ग़ैरत , काफिर ,जहर सब के सब
इससे ज़्यादा अबकी बार और कुछ भी ना सुना बस कर
तुमने कहा अलविदा मैंने मान लिया खुद को समझा लिया
अब दुबारा यूँ कहीं टकरा बुझे हुए चराग़ न जला बस कर
तुझसे इश्क है आजतक म’गर पाना नहीं तुझे किसी जमाने
ज़ुल्फ़-ए-परेशान से अब क्या होगा टूट चुका हर नशा बस कर
@कुनु