बस ऐसी अमर कहानी हो!
बचपन में सीखा जीवन इंसानियत की निशानी हो
लिखो कहानी जो बस ऐसी अमर कहानी हो ।
न खोना भोलापन कभी,जब आए यौवन का पहर
बन मीरा पीना प्रेम अमृत भले जीवन-प्यालों में जहर।
लिखना पवित्र रामायण,लिखना पवित्र गीता
लिखना त्याग गाथा,बनके पवित्र सीता ।
गया बालपन आया यौवन पहर,बचपन के सबक बने जहर
भोलापन है पागलपन अब, हो रहा अब हर सीख पर कहर ।
शिक्षा ने कुछ सिखाया और जीवन कुछ और ही सीखा रहा है
जीवन मूल्यों को बस किताबी ही दिखा रहा है।
न आए दुनियादारी
कोई झूठा ख्याल लाऊंममगी
दिल के उजले आसमान पर न कोई दागी बादल पाऊंगी ।
अंतर्मन खुशी ऐसी जैसे निर्दोष बालक की मनमानी हो
जैसे किसी रमते जोगी की बस अपनी ही रवानी हो
अ दिल लिख ऐसी बस ऐसी अमर कहानी हो!
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक