बस ! एक दिन का देशप्रेम
बस एक दिन की देश भक्ति ,
और एक दिन का प्यार ।
उसके बाद तू कौन , मैं कौन यार ।
बस एक दिन का नारा ,
और एक दिन की भाषण बाजी ,
और भाषण बाजी में आश्वासन अपार ।
बस एक ही दिन दुश्मन दोस्तों की दावत ,
हंसी खुशी और मस्ती के संग करते ,
एकता और भाईचारा का प्रदर्शन ,
और उसके बाद फिर परस्पर रार ।
बस एक ही दिन तिरंगा लिए हाथों में,
देश प्रेम और गौरव जागृत हुआ ।
” वंदे मातरम् ,जय हिन्द और भारत माता की जय”
का उच्च स्वर में उद्घोष ,
और उसके बाद तिरंगा कभी सड़कों पर ,
कभी नालियों पर निराधार ।
ये तो वही बात हो गई !
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात।
बस एक दिन के लिए चढ़ा था ,
जनता और नेता को देशभक्ति का बुखार ।
देशप्रेम और देशभक्ति तो ,
मन में होनी ।
या उससे बढ़कर रूह में होनी चाहिए ।
उसे ही कहते है सच्चा प्यार ।
वरना यह सब है पाखंड और व्यापार ।
दिल से देश से जुड़ोगे ,
तभी होंगे उसके दुख सुख के भागीदार ।
फिर जागेगा उसके प्रति ,
उसके प्रति कर्तव्य और उत्तरदायित्व ।
तभी कहलायोगे सच्चे भारतवासी ।
और फिर तत्पर होंगे करने को ,
उसके सभी सपने साकार ।