“बस एक झूठ”
बस एक झूठ से जिंदगी नही चलती,
चलती है जिंदगी तो बस मुहब्बत से।
न समझ है तू,मैं झूठ से सौदा नहीं करता,
जा मुझे छोड़,मैं अब तन्हाई से नही डरता।
कोई हालात या मजबूरियां नही,
मुझे पता है तेरी आदत है,झूठ बोलने की ।
तू आज जाता है तो जा,
क्या जरूरत है,पर्दे खोलने की।
मैं खुद को मजबूत बना कर जी रहा था,
तुमने एक झूठ से बना बनाया किला गिरा दिया ।
ये सच है एक दिन बिछड़ना तय था,
बस मरा ही नही,जो तुमने मुझे ये सिला दिया।