बस्तीक लोकक विरुद्ध
बस्तीक लोकक विरुद्ध
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लोक बुझैत अछि बस्तीक
बस्तीक भाषा
कुकुरक भों भों करबाक अर्थ
सांझ प्रात हूल हूल करबाक पाछा
की थिकैक लालसा/मंशा
ओ जानैत अछि
निजगूत ओकर अयबाक समय
कान पटपटेबाक आकि
नांगरि डोलेबाक कारण
कतेको केँ हबकलकैक एखन धरि
कोना-कोना फंसौलकैक बुझल छैक इतिहास
कुकुरके चिन्हबाक होअए…
बेजाए नै छैक देब काओरा
ओकर भाषा सीखबाक लेल
परिकाबहो पड़ैत छैक कखनोकाल
खराब त’ तखन होइत छैक…
सीखैत सीखैत ओकर भाषा बिसरि जाइत छी स्वयंके
लागल-लागल परकि जाइत छी
एनमेन ओकरे सन
बात-बात पर लगैत छी जीह नमराब’ आ
डोलब’लगैत छी नांगरि कुकुरक आउग-पाउछ
बुड़िबक थोड़े ने छलाह पूर्वज लोकनि
जे कहि गेलाह…
खंजनिक चालि चलबाक फिराक मे
अपनहुँ चालि जूनि जाइ बिसरि
खराब तखन होइत छैक…
बिसरि सभ बात-विचार
एकदिन भ जाइत छी
अहुं बस्तीयेक लोकक विरुद्ध ।।
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अवधेश।।