बसा तुम्ही में.हमारा जहान है
जब से दिल हुआ ये जवान है
बसा तुम्हीं में हमारा जहान है
दिल बगिया जो थी सूनी सूनी
अरमानों भरा अब गुलिस्तां है
खालीपन महसूस जो थे करते
खुशियों से भरा अब मकान है
दिल रहता था जो तन्हा तन्हा
मस्ती में मस्त मेरा अरमान हैं
बदली बदली है जिंदगी बहारां
बखेरी होठों ने मधु मुस्कान है
अंधकार से सनी थी जिंदगानी
प्रेमज्योति की मधुर महकान है
खो ना जाओ कहीं तुम हम से
मिली तुम हो,खुदा मेहरबान है
तेरे सांसों से ही चलती हैं सांसें
तुमने हम पर किया एहसान है
जब से दिल हुआ यह जवान है
बसा तुम्हीं में हमारा जहान है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत