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20 Apr 2023 · 1 min read

*बसते हो तुम साँसों में*

बसते हो तुम साँसों में
*******************

बसते हो तुम साँसों में,
चर्चे तेरे ही मेरी बातों में।

नींद में भी देखूँ हर-दम,
सपनों मे रहते रातों में।

राही से हमराही बनकर,
राह ताकती ख्यालों में।

प्रेम अंधेरी में उड़ जाऊँ,
खो जाऊँ तेरी बाँहों में।

बादल बन कर बरसोगे,
सूखी छाती हरे बागों में।

ख्वाबों मे अक्सर आते,
आओ तो सूनी राहों में।

मनसीरत है धीर बंधाए,
गूंजोगे प्यार के नारों में।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
.

Language: Hindi
148 Views
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