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30 May 2024 · 1 min read

बसंत

अब न ठिठुरो,फैला लो बाहें
जागो, प्रकृति अपनी बर्फ की चादर समेट
फैला रही है नई ऊष्मा और प्रकाश,
जागकर देखो चारों ओर,
नई सुबह
नए रंग,नई उमंग,
पीत प्रकाश छिटक
दिया हो जैसे,
सरसों के खेतों में
आमों में नव कालिकाएं महक उठीं हैं,
और वो महक है
आने वाले उन फलों की
जो,स्वाद देंगे औरों को
प्रकृति बताती है कि हमें
फलना है फूलना है और
महकाना है सब कुछ
पर वो सुगंध तभी होगी जब
हमारा फलना फूलना
और महकना सबके लिए होगा…..

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